संदेश

ग़ज़ल बन : किछु तँ भेलैए ककरो

ज्ञान के अपन हृदय नहिं छैक

गाछ स्त्री !

दू पँतिया :

मातृ दिवस : कैलेण्डर !

दू पँतिया : यात्राकेर अंतमे दोस्त कहि क

प र थ न

दू पँतिया : किछु लोक अपन सब दिन...

मोनोक माया अपरम्पार : मैथिली केँ आब...

पिता पुत्रक संदेशा-देशी

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